Wife Suicide Case : हाई कोर्ट बिलासपुर ने 13 साल पुराने आत्महत्या के मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि केवल तिरस्कारपूर्ण टिप्पणियां आत्महत्या के लिए उकसावे का आधार नहीं हैं। हाईकोर्ट ने मृतका के पति व ससुर को दोषमुक्त कर दिया। जबकि लोवर कोर्ट ने पति और ससुर को सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कथित अपशब्द क्रोध या गुस्से में कहे गए हों, उसमें जानबूझकर दुष्प्रेरण की मंशा न हो तो उसे सुसाइड के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
जानिए क्या है पूरा मामला (Wife Suicide Case)
31 दिसंबर 2013 को रायपुर स्थित अस्पताल में एक झुलसी हुई महिला को भर्ती कराया गया था। 5 जनवरी 2014 को उसकी मौत हो गई। महिला ने मौत से पहले कार्यपालक मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था।
आरोप के मुताबिक महिला के पति और ससुर उसे अपशब्द कहकर अपमानित करते थे और चरित्र पर शंका करते थे। ससुराल वालों की तिरस्कारपूर्ण भाषा के कारण उसने खुद पर केरोसिन डालकर आग लगाई है।
मृतका के माता-पिता और भाई ने भी अपने बयानों में बताया कि पति-पत्नी के बीच अक्सर झगड़े होते थे और उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। (Wife Suicide Case)
अपीलकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट में तर्क दिया कि घटना से ठीक पहले किसी भी प्रकार की तुरंत उकसाने वाली या उत्प्रेरक बात नहीं हुई थी, जो आत्महत्या के लिए कानूनी रूप से जरूरी मानी जाती है।
अभियोजन पक्ष आत्महत्या के लिए जरूरी दुष्प्रेरण (उकसाना) सिद्ध नहीं कर पाया। शासन की ओर से वकील ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि रिकॉर्ड में पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे यह साबित होता है कि आरोपियों ने मृतका को प्रताड़ित किया और उसे आत्महत्या के लिए विवश किया।(Wife Suicide Case)
जस्टिस बिभु दत्ता गुरु ने धारा 306 आईपीसी की व्याख्या करते हुए कहा कि आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण (उकसाना) सिद्ध करने यह प्रमाणित करना होता है कि आरोपी ने उकसाया, षड्यंत्र किया, या जानबूझकर मजबूर किया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ‘शादी को 12 साल हो चुके थे, इसलिए धारा 113 ए के तहत 7 सालों के अंदर आत्महत्या पर लागू होने वाला विधिक अनुमान इस मामले में नहीं लगाया जा सकता। क्रोध या भावावेश में कहे गए शब्द, यदि उनकी मंशा ऐसी नहीं हो, तो उन्हें आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण नहीं माना जा सकता।’ (Wife Suicide Case)