Unique Last Journey in Mandsaur मंदसौर: आमतौर पर यह देखा जाता है कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो परिवार में शोक का माहौल रहता है। परिजन मृतक को रोते-बिलखते हुए अंतिम विदाई देते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां व्यक्ति की अंतिम विदाई नाचते-कूदते बैंड बाजा के साथ हुई। ऐसा नहीं हैं कि परिवार में कोई शोक नहीं था। परिवार के साथ मृतक के दोस्त और गांववाले के लोग शोक में थे। मृतक की अंतिम इच्छा पूर्ति के लिए उन्हें नाचते-कूदते बैंड बाजा के साथ विदाई दी गई।
मामला मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के ग्राम जवासिया का है। बुधवार को सोहनलाल जैन नामक एक समाजसेवी की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई। बुजुर्ग के गांव में ही दो गहरे मित्र हैं। बचपन से एक साथ पले-बढे। सोहनलाल जैन ने आज से 5 साल पहले एक गोपनीय पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने दोनों दोस्तों से यह आग्रह किया कि जब उनकी मृत्यु हो जाए तो वह दोनों उन्हें रोते बिलखते विदा करने के बजाय नाचते कूदते बैंड बाजा के साथ रवाना करें। बुधवार को अचानक उनकी मृत्यु हो गई और जब परिजनों ने उनकी निजी संदूक और अलमारी खोले तो मित्रों के नाम लिखा हुआ यह पत्र मिला। इस पत्र के सामने आते ही दोनों दोस्त भावुक हो उठे और ना चाहते हुए भी उन्होंने अपने दोस्त की अंतिम इच्छा अनुसार उन्हें विदाई दी।
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बता दें कि सोहनलाल जैन काफी धार्मिक प्रवृत्ति के समाज सेवक थे। उन्होंने 32 साल पहले गांव में प्रातः कालीन प्रभात फेरी और रामधन की शुरुआत की थी। अंबालाल प्रजापत और शंकर लाल पाटीदार नामक यह दोनों मित्र भी उनके रामधून और प्रभात फेरी के शुरुआती साथी रहे। सोहनलाल जैन स्कूली छात्रों का प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए भी स्वतंत्रता दिवस, शिक्षक दिवस और गणतंत्र दिवस पर स्कूलों के आयोजनों में भागीदारी करते रहे। उनके निधन के बाद उनके इस पत्र के खुलासे से आज पूरा गांव उन्हें विदा करने श्मशान घाट पहुंचा। गांव के लोगों ने उनकी अंतिम इच्छा अनुसार ही बैंड बाजा के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी ।
Unique Last Journey in Mandsaur सोहनलाल जैन के पड़ोसी दौलतराम पाटीदार ने बताया कि बाबूजी पूरे गांव के लिए सम्मानजनक व्यक्ति थे ।उन्होंने कई सालों पहले युवाओं में आलस की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए प्रातः कालीन प्रभात फेरी और रामधुन की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि बाबूजी और अंबालाल प्रजापत और शांतिलाल पाटीदार के अलावा मंदिर के पुजारी ही केवल शुरुआती दौर में प्रभात फेरी निकालते थे। लेकिन उनके इस क्रम से प्रेरित होकर अब गांव के सैकड़ो युवा भी नियमित प्रातः काल की प्रभात फेरी में हिस्सा लेते हैं ।उन्होंने बताया कि उनके जाने के बाद प्रभात फेरी का क्रम जारी रहेगा और उनके निधन से पूरे इलाके में शोक की लहर है।