Swachh Survekshan Awards 2025: नई दिल्ली। भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज राजधानी में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित एक समारोह में स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के विजेताओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने स्वच्छता को राष्ट्र निर्माण से जुड़ा अहम पहलू बताया और भारत की प्राचीन जीवनशैली को आधुनिक वृत्ताकार अर्थव्यवस्था (Circular Economy) के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में स्वच्छता केवल नीति का विषय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना से जुड़ी परंपरा है। उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वच्छता, ईश्वर भक्ति के बाद सबसे बड़ा धर्म है। राष्ट्रपति ने बताया कि जनसेवा की उनकी यात्रा भी स्वच्छता कार्यों से ही शुरू हुई थी।
स्रोत पर कचरा पृथक्करण अहम कड़ी (Swachh Survekshan)
उन्होंने अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management) की बात करते हुए कहा कि स्रोत पर कचरा पृथक्करण (Source Segregation) इसकी सबसे अहम कड़ी है। यदि हर परिवार और समुदाय इस सिद्धांत को अपनाएं, तो शून्य-अपशिष्ट (Zero-Waste) बस्तियों का सपना साकार हो सकता है।
राष्ट्रपति ने आदिवासी जीवनशैली को पर्यावरण के अनुकूल बताते हुए कहा कि सीमित संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और पुनः प्रयोग (Reuse, Recycle) उनकी संस्कृति की विशेषता रही है। इससे आधुनिक कचरा प्रबंधन और वृत्ताकार अर्थव्यवस्था की नीतियों को मजबूती मिलती है।
उन्होंने विद्यालयों में स्वच्छता मूल्यांकन (Swachh Survekshan) की पहल की सराहना की और कहा कि बच्चों में बचपन से स्वच्छता के संस्कार विकसित करने से लंबे समय तक सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
प्लास्टिक और ई-कचरा नियंत्रण पर जोर देते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाए गए प्रतिबंध और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन होना चाहिए।
अंत में राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि नागरिकों की भागीदारी से भारत वर्ष 2047 तक विश्व के सबसे स्वच्छ राष्ट्रों में शामिल होगा।(Swachh Survekshan)
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