Shibu Soren Last Rites झारखंड। ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। उनके पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया। बेटे हेमंत सोरेन ने उन्हें मुखाग्नि दी। पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर जब उनके पैतृक गांव नेमरा में लाया गया तो उनके अंतिम दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन, एक महीने से अधिक समय से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में किडनी संबंधी समस्याओं का इलाज करा रहे थे। उनका 4 अगस्त 2025 को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
शिबू सोरेन की कहानी
Shibu Soren Last Rites 15 साल के एक लड़के की जिंदगी उस समय बदल गई जब कथित रूप से उसके पिता की साहुकारों द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई। पिता का साया सिर से उठ गया और अचानक बचपन खत्म हो गया। लड़के ने संघर्ष किया और खुद को दूसरों के लिए आवाज उठाने लायक बनाया। संघर्ष करते हुए बात भारत में एक नए राज्य की मांग तक पहुंच गई। राह कभी आसान नहीं थी लेकिन फिर राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर सांसद और केंद्रीय मंत्री बनने तक संघर्ष कभी खत्म नहीं हुआ। जिस व्यक्ति की बात हो रही है उनका नाम शिबू सोरेन हैं। लोग उन्हें सम्मानपूर्वक ‘गुरु जी’ और ‘दिशोम गुरु’ के नाम से जानते हैं।
शिबू सोरेन का 4 अगस्त 2025 को निधन हो गया है। देश के प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक सभी ने शोक संदेश जारी किया। पीएम मोदी खुद उनके अंतिम दर्शन के लिए गए। शिबू सोरेन अपने पीछे एक राजनीतिक विरासत छोड़ गए हैं। झारखंड बनने की कहानी बहुत हद तक शिबू सोरेन के दृण निश्चय और संघर्ष की कहानी है।