पीआईबी दिल्ली| Self-reliant india
आत्मनिर्भर भारत (Self-reliant india) अभियान को आगे बढ़ाते हुए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) और एम्स बीबीनगर ने मिलकर भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित एडवांस्ड कार्बन फाइबर फुट प्रोस्थेसिस पेश किया है। इसका अनावरण 14 जुलाई को एम्स बीबीनगर (तेलंगाना) में किया गया।
🇮🇳 मेक इन इंडिया की बड़ी उपलब्धि
इस उन्नत कृत्रिम पैर को “ADIDOC (Advanced Durable India-developed Optimised Carbon)” नाम दिया गया है। इसे आत्मनिर्भर भारत (Self-reliant india) पहल के तहत स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है। लॉन्च कार्यक्रम में DRDL के निदेशक डॉ. जीए श्रीनिवास मूर्ति और एम्स बीबीनगर के कार्यकारी निदेशक डॉ. अहंतेम सांता सिंह उपस्थित रहे।
⚙️ तकनीकी खूबियाँ और बायोमैकेनिकल टेस्टिंग
भार सहने की क्षमता: 125 किलोग्राम तक
सुरक्षा मानक: उच्च सुरक्षा कारक के साथ बायोमैकेनिकल टेस्ट पास
वेरिएंट: विभिन्न भार और आवश्यकताओं के अनुसार तीन श्रेणियों में उपलब्ध
परफॉर्मेंस: अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयातित मॉडलों के बराबर
💸 20,000 रुपये से कम लागत, आमजन के लिए सुलभ
जहां वर्तमान में आयातित प्रोस्थेसिस की कीमत ₹2 लाख तक होती है, वहीं यह नवाचार महज ₹20,000 से कम लागत में उपलब्ध होगा। इससे न सिर्फ भारत (Self-reliant india) की तकनीकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर दिव्यांगजनों को उच्च गुणवत्ता वाले कृत्रिम अंग सुलभ होंगे।
🤝 सामाजिक समावेशन और तकनीकी स्वतंत्रता की दिशा में कदम
(Self-reliant india) पहल भारत में दिव्यांगजनों के लिए न केवल आर्थिक राहत का माध्यम बनेगी, बल्कि आयातित तकनीकों पर निर्भरता को कम कर स्थानीय नवाचार और समावेशिता को प्रोत्साहित करेगी।