Scotch whisky in India: भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में एक खास उत्पाद—स्कॉच व्हिस्की—केंद्र में है। भारत न केवल ब्रिटेन से बड़ी मात्रा में व्हिस्की मंगाता है, बल्कि यह अब ब्रिटिश स्कॉच के लिए दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन चुका है।
Scotch whisky in India: स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन और कन्फेडरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री (CBI) के अनुसार, भारत में हर साल करीब 22 करोड़ लीटर व्हिस्की की खपत होती है। भारत ब्रिटेन से सालाना लगभग 13,000 करोड़ रुपये की प्रीमियम और स्टैंडर्ड स्कॉच ब्रांड्स जैसे जॉनी वॉकर, चिवास रीगल, बैलेनटाइंस, ग्लेनफिडिक और द मैकऐलन आयात करता है।
क्या हुई समझौते में सहमति? (Scotch whisky in India)
Scotch whisky in India: समझौते के तहत भारत सरकार ने स्कॉच व्हिस्की पर लगे 150% आयात शुल्क को चरणबद्ध तरीके से 75% या उससे नीचे लाने पर सहमति जताई है। इससे भारत में स्कॉच की खुदरा कीमतों में 10 से 30% तक गिरावट संभव है। इसका लाभ सीधे उपभोक्ताओं को मिलेगा, क्योंकि प्रीमियम ब्रांड्स अब और किफायती होंगे। एसोसिएशन का अनुमान है कि इससे 20-25% तक स्कॉच की बिक्री में इजाफा हो सकता है।
सरकार को क्या मिलेगा?
CBIC के अनुसार, भारत को हर वर्ष 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पाद शुल्क शराब से प्राप्त होता है, जिसमें विदेशी ब्रांड्स की बड़ी हिस्सेदारी है। शुरूआत में आयात शुल्क घटने से राजस्व में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन लंबे समय में मांग में वृद्धि से सरकार की कुल आमदनी और निर्यात लक्ष्यों में मजबूती की संभावना है।
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