MP Teacher Bharti News बालाघाटः मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। सरकार की तरफ से भले इसे बेहतर बनाने के दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि एमपी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है।
इस बीच अब राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बड़ा ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार 18 से 20 हजार शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है। इधर, मंत्री के ऐलान के बाद शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहे युवाओं में खुशी की लहर है। लंबे समय बाद प्रदेश में इतने शिक्षकों की भर्ती होने जा रही है।
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दरअसल, राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने शनिवार को बालाघाट जिले के दौरे पर थे। कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद कलेक्ट्रेट में समीक्षा बैठक ली। बैठक के बाद मीडिया से चर्चा में मंत्री ने माना कि शासकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही 18 से 20 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी।
MP Teacher Bharti News: उदय प्रताप सिंह ने बताया कि जर्ज़र भवनों में अब स्कूल नहीं चलेंगे। जरूरत पड़ने पर किराए के भवन में कक्षाएं संचालित की जाएंगी। स्कूलों की मूलभूत सुविधाओं, रास्तों और भवनों की स्थिति को लेकर भी बैठक में समीक्षा की गई। मंत्री ने दावा किया कि कोई भी सरकारी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है, जहां आवश्यकता है, वहां अतिथि शिक्षकों को लगाया गया है।
लेकिन विभाग बड़ा है, इसलिए स्थायी भर्ती जरूरी है। साथ ही आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए भी विशेष प्रयास किए जाने की बात कही।
जानिए क्या कहते हैं आंकड़े? (MP Teacher Bharti News)
MP Teacher Bharti News शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन की हालिया रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के 12,000 स्कूलों में केवल एक शिक्षक पदस्थ है, जिससे शिक्षकों की भारी कमी साफ नज़र आती है। UDISE की रिपोर्ट ने सरकारी स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं की बदहाली को भी उजागर किया है जिसमें 9,500 स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है।
MP Teacher Bharti News: 3,342 क्लासरूम अभी तक अधूरे पड़े हैं, जबकि नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है। कई स्कूलों में शौचालय की उचित व्यवस्था तक नहीं है, जिससे पता चलता है कि बुनियादी सुविधाएँ अभी तक पूरी तरह से स्कूलों तक नहीं पहुँच पाई हैं।
शिक्षक-छात्र अनुपात और स्कूलों की स्थिति भी चिंताजनक है, 2,000 सिंगल शिक्षक वाले स्कूलों में से 9,620 प्राइमरी स्कूल हैं। इसका मतलब है कि पाँचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने की पूरी ज़िम्मेदारी केवल एक शिक्षक पर है।