बीजापुर, 7 जुलाई। Bijapur Encounter : नेशनल पार्क की घनी हरियाली और मूसलधार बारिश के बीच छत्तीसगढ़ की सुरक्षाबलों ने एक ऐसा नाम मिटा दिया, जिसने वर्षों तक दहशत की तस्वीर बना रखी थी। 8 लाख के इनामी और PLGA बटालियन नंबर 01 के कंपनी-02 डिप्टी कमांडर सोढ़ी कन्ना को बीजापुर जिले के जंगलों में चली एक सटीक रणनीति और बहुस्तरीय ऑपरेशन में मार गिराया गया।
यह मुठभेड़ सिर्फ एक माओवादी की मौत नहीं, बल्कि स्नाइपर क्षमताओं में माओवादियों को एक बड़ा झटका है। सोढ़ी, माओवादी शीर्ष कमांडर माड़वी हिडमा का करीबी था और टेकलगुड़ियम समेत कई घातक हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था।
ऑपरेशन का नया चेहरा: जंगल में ‘यंग प्लाटून’ की निर्णायक दस्तक (Bijapur Encounter)
4 जुलाई को शुरू हुए इस सघन ऑपरेशन में शामिल रही सुरक्षा बलों की संयुक्त टुकड़ियों—DRG, STF, CoBRA 202 व 210, CRPF यंग प्लाटून—ने इस अभियान को एक अलग स्तर पर अंजाम दिया। करीब दो दिन तक रुक-रुक कर हुई मुठभेड़ के बाद, जब इलाके की तलाशी ली गई, तब सोढ़ी कन्ना का शव और भारी मात्रा में हथियार, विस्फोटक और नक्सली दस्तावेज बरामद किए गए।
बरामद हुए सामान से साफ हुआ माओवादियों का प्लान(Bijapur Encounter)
303 रायफल, 5 जिंदा राउंड
AK-47 मैगज़ीन, 59 राउंड
डेटोनेटर, कोडेक्स वायर, सेफ्टी फ्यूज
माओवादी वर्दी, रेडियो सेट, साहित्य और दैनिक उपयोग की (Bijapur Encounter)सामग्री
बस्तर में बदल रहा है मुठभेड़ का नक्शा(Bijapur Encounter)
बीते 18 महीनों में 415 हार्डकोर माओवादी ढेर किए जा चुके हैं—एक आँकड़ा जो अब सिर्फ सुरक्षा बलों की ताकत का नहीं, बल्कि माओवादियों के भीतर पसरे डर और असमंजस का प्रतीक बनता जा रहा है। मूसलधार बारिश, दलदली जमीन और दुर्गम इलाके अब सुरक्षाबलों के हौसले की सीमा नहीं, बल्कि उनकी रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं।
कन्ना का अंत: हिडमा की बटालियन में ‘साइलेंट गैप’(Bijapur Encounter)
माओवादी संगठन के भीतर स्नाइपर रणनीति को लीड करने वाला चेहरा अब खत्म हो चुका है। हिडमा की संरचना में यह एक ऐसा खालीपन (Bijapur Encounter)है, जिसे भर पाना माओवादियों के लिए आसान नहीं होगा।