Chhattisgarh mining crime: छत्तीसगढ़ के माइनिंग क्षेत्रों में फ्लाई ऐश, कोल डस्ट और बढ़ते अपराधों को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। कोरबा जिले में चार महीने पहले कोयला परिवहन विवाद को लेकर एक ट्रांसपोर्टर की हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने SECL प्रबंधन से जवाब मांगा है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन यह जनता की जान-माल की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोयला खुले में ढोने वाली गाड़ियों को परमिट न दिया जाए। हाईवे पेट्रोलिंग टीम गाड़ियों की फोटो लेकर जांच करे। कोर्ट ने SECL और NTPC को नया शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।
SECL का रवैया गैर-जिम्मेदाराना: हाईकोर्ट (Chhattisgarh mining crime)
कोर्ट ने कहा कि SECL केवल कोयला बेचने की जिम्मेदारी नहीं निभा सकती, उसे परिवहन के दुष्प्रभाव की जिम्मेदारी भी लेनी होगी। न्यायालय ने तंज कसते हुए कहा कि यह वैसा ही है जैसे शराब बेचने वाला कहे कि पीने वाला खुद जिम्मेदार है।
माइनिंग एरिया में कानून व्यवस्था पर सवाल
कोर्ट ने कोरबा की बुड़बुड़ खदान में ट्रांसपोर्टर की हत्या (Chhattisgarh mining crime) का जिक्र करते हुए कहा कि SECL का यह कहना कि सब नियंत्रण में है, अस्वीकार्य है। हत्या के मामले में 15 लोगों पर FIR हो चुकी है।
फ्लाई ऐश और कोल डस्ट से लोग बीमार हो रहे
चीफ जस्टिस ने कहा कि बरसात में सड़कें खराब हैं, गड्ढे हैं, लोग चल नहीं पा रहे हैं। 5 किमी में 25 गड्ढे हैं और यह सब कोल ट्रांसपोर्टिंग की वजह से हो रहा है।
शराब दुकान और ढाबों पर भी टिप्पणी
कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट (Chhattisgarh mining crime) में बताया गया कि मुंगेली जिले के सरगांव में नेशनल हाईवे के किनारे शराब दुकान और ढाबे संचालित हो रहे हैं। शासन ने बताया कि इन्हें हटाने की प्रक्रिया चल रही है।
हाईकोर्ट के निर्देश एक नजर में:
बिना कवर कोयला ढोने वाली गाड़ियों को परमिट न दिया जाए।
हाईवे पेट्रोलिंग टीम गाड़ियों की फोटो सहित जांच करे।
खुले कोयले का परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टरों की रजिस्ट्रेशन और एग्रीमेंट रद्द हों।
SECL और NTPC नया शपथपत्र दाखिल करें।