79th Independence Day in Bastar : बस्तर में स्वतंत्रता दिवस का ऐतिहासिक जश्न, 29 गांवों में पहली बार लहराया तिरंगा, सीएम साय का बड़ा बयान आया सामने

CG Express
79th Independence Day in Bastar

79th Independence Day in Bastar रायपुर: आज़ादी के 78 साल बाद बस्तर के उन गांवों में तिरंगा शान से लहराया, जहाँ अब तक नक्सलियों का लाल झंडा ही ताक़त और खौफ का प्रतीक माना जाता था। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा जिलों के 29 गांवों में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। दशकों से बंदूकों की नली और डर के साए में जी रहे इन गांवों में तिरंगे का फहराया जाना केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि बदलते बस्तर की ऐतिहासिक तस्वीर है। यह तस्वीर दर्शाती है कि सुरक्षा बलों के त्याग, सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और ग्रामीणों की उम्मीद ने मिलकर नक्सलवाद के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। इन गांवों में तिरंगा फहराना उस ऐतिहासिक बदलाव का प्रमाण है, जो सुरक्षा बलों के साहस, राज्य और केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति तथा सबसे बढ़कर ग्रामीणों के धैर्य और विश्वास से संभव हुआ है। बीजापुर जिले के कोंडापल्ली, जीड़पल्ली, वाटेवागु, कर्रेगुट्टा, पिड़िया, पुजारीकांकेर और भीमारम जैसे गांव; नारायणपुर जिले के गारपा, कच्चापाल, बेड़माकोट्टी, कांदूलनार, रायनार सहित कई गांव; तथा सुकमा जिले के गोमगुड़ा, गोल्लाकुंडा, नुलकातोंग और उसकावाया जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में आज़ादी के बाद पहली बार तिरंगे का फहरना एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह उपलब्धि हमारी सुशासन की सरकार के उस संकल्प का परिणाम है, जिसमें नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और विकास की नई धारा प्रवाहित करने का लक्ष्य रखा गया है।उन्होंने कहा कि “बस्तर अब भय और हिंसा से बाहर निकलकर प्रगति, समृद्धि और विश्वास की ओर बढ़ रहा है। सरकार का वचन है कि हर गांव तक विकास की रोशनी पहुँचेगी और कोई भी नागरिक विकास की रोशनी से अछूता नहीं रहेगा। वहीं उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इसे सुरक्षा बलों की मेहनत और स्थानीय समुदायों के धैर्य का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि “आज जिन गांवों में तिरंगा फहराया गया, वहाँ दशकों तक लाल झंडे का खौफ छाया रहा। यह बस्तर में नई सुबह का प्रतीक है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर बस्तर के विकास के लिए निरंतर कार्य कर रही है।

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लगातार दबाव के चलते नक्सली कैडर हुआ कमजोर

79th Independence Day in Bastar पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों की नई रणनीति, शिविरों की स्थापना और लगातार दबाव के चलते नक्सली कैडर कमजोर हुआ है। आत्मसमर्पण नीतियों ने बड़ी संख्या में उग्रवादियों को मुख्यधारा में लौटाया है। वहीं सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि केवल सुरक्षा उपाय ही नहीं, बल्कि विकास ही स्थायी समाधान है। इसी कारण नियद नेल्ला नार योजना सहित सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाओं का तेजी से विस्तार हो रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा और अन्य योजनाओं से ग्रामीणों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने लगा है। ग्रामीणों का भरोसा जीतना इस ऐतिहासिक बदलाव का सबसे बड़ा आधार रहा है। स्वास्थ्य शिविर, शिक्षा और रोजगार के नए अवसर तथा प्रशासन का संवेदनशील रवैया ग्रामीणों को यह संदेश दे रहा है कि सरकार उनके साथ खड़ी है। बस्तर की यह नई तस्वीर पूरे देश को यह संदेश देती है कि जब इच्छाशक्ति, रणनीति और जनभागीदारी एक साथ आते हैं, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं रहती। कर्रेगुट्टा सहित बस्तर के इन 29 गांवों में फहराता तिरंगा उस नई सुबह का प्रतीक है, जो हिंसा की अंधेरी रात को पीछे छोड़ते हुए शांति, विकास और आत्मविश्वास से भरे भविष्य की ओर अग्रसर है।

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