5 Years No Food: छुइहा की आंगनबाड़ी बनी बच्चों की भूख की कहानी

छत्तीसगढ़ के छुइहा गांव की आंगनबाड़ी में 5 वर्षों से न बच्चों के लिए खाना बना, न शिक्षा दी गई। कार्यकर्ता की लापरवाही, सिस्टम की अनदेखी और प्रशासन की चुप्पी ने इस योजना को पूरी तरह विफल बना दिया है।

आंगनबाड़ी केंद्र छुइहा।
Highlights
  • छुइहा (रानीगढ़) की Anganwadi में 5 Years से No Cooking, Kids Suffering!
  • बच्चों की उपस्थिति शून्य, पोषण योजना ठप
  • ग्रामवासियों की चुप्पी या सिस्टम की नाकामी

5 Years No Food: सरकार द्वारा चलाई जा रही आंगनबाड़ी योजनाएं बच्चों के पोषण, शिक्षा और समग्र विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन जब इन योजनाओं का ज़मीनी स्तर पर सही ढंग से पालन नहीं होता, तो इसका सीधा असर उन मासूम बच्चों पर पड़ता है, जिनकी पूरी तरह से इन सेवाओं पर निर्भरता होती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है  ग्राम-  छुइहा (रानीगढ़) , पो.ऑ.- सुतिउरकुली ,थाना बिलाईगढ़ जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ के एक आंगनबाड़ी केंद्र से, जहाँ भारी लापरवाही के चलते यह योजना पूरी तरह से विफल होती नज़र आ रही है।

प्रमिला बंजारे और सहायिका पर लगे गंभीर आरोप

इस केंद्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रमिला बंजारे और सहायिका विजयकुमारी पर आरोप है कि वे वर्षों से अपनी ड्यूटी के प्रति गंभीर नहीं हैं। कार्यकर्ता अक्सर बिना किसी पूर्व सूचना के गैरहाजिर रहती हैं और ड्यूटी समय में निजी कार्यों में व्यस्त रहती हैं। यह लापरवाही केवल एक या दो दिन की नहीं, बल्कि कई वर्षों से चली आ रही है।

पांच साल से ठप पोषण योजना (5 Years No Food)

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शिकायत कर्ता पूर्व सरपंच ने बताया की पिछले पांच वर्षों से इस केंद्र में बच्चों के लिए खाना नहीं बनाया गया (5 Years No Food)। एक वीडियो प्रमाण के रूप में सामने आया है, जिसमें केंद्र की स्थिति स्पष्ट देखी जा सकती है — रसोई में जमी हुई धूल और एकदम सुनसान परिसर। हमारी टीम ने जब केंद्र का औचक निरीक्षण किया तो वहाँ एक भी बच्चा मौजूद नहीं था, जिससे यह साफ हो गया कि बच्चों की उपस्थिति और पोषण दोनों ही इस केंद्र में उपेक्षित रहे हैं।

ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच हरिवंश कुमार टंडन ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मौखिक शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके साथ ही आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र ने भी उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी है। बावजूद इसके, अभी तक इस दिशा में कोई ठोस प्रशासनिक कदम नहीं उठाया गया है।

दीमकों ने बता दी सच्चाई, रसोई में सालों से नहीं जला चूल्हा

खाने के लिए जो लकड़ियाँ वर्षों पहले इकट्ठी की गई थीं, वे अब दीमक की भेंट चढ़ चुकी हैं। यह साफ दर्शाता है कि रसोई में पिछले पाँच वर्षों से कोई गतिविधि नहीं हुई। सोचने वाली बात यह है कि वह लकड़ी कितनी “प्यारी” होगी, जो बिना किसी उपयोग के इतनी लंबी अवधि से वहीं पड़ी हुई है। यह न केवल लापरवाही का प्रमाण है, बल्कि केंद्र की निष्क्रियता की भी एक सशक्त तस्वीर पेश करता है। वहीं दूसरी ओर, केंद्र की कार्यकर्ता ड्यूटी समय में भी बिना किसी पूर्व सूचना के निजी कामों के लिए बाहर चली जाती है और मनमर्जी से छुट्टियाँ लेती है। इस पूरे मामले की मौखिक शिकायत ग्राम सरपंच श्री हरिवंश कुमार टंडन एवं आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र द्वारा पहले ही की जा चुकी है, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे साफ झलकता है कि प्रशासनिक स्तर पर भी इस लापरवाही को नज़रअंदाज़ किया गया है।

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इस तरह की लापरवाही न केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि यह उन गरीब बच्चों के अधिकारों का भी हनन है जिन्हें उचित पोषण और प्रारंभिक शिक्षा मिलनी चाहिए। यदि इस पर जल्द ही कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह न केवल एक केंद्र की विफलता होगी, बल्कि पूरी योजना की साख पर सवाल उठेंगे।(5 Years No Food )

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